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% 1021.s isongs output
\stitle{koii ye kaise bataaye ke vo tanhaa kyo.n hai}%
\film{Arth}%
\year{1982}%
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\singer{Jagjit Singh}%
\music{Kuldeep Singh}%
\lyrics{Kaifi Azmi}%
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% Contributor: Sirisha K Ayyagari (ayyagari@plains.NoDak.edu)
% Transliterator: Ravi Kant Rai (rrai@plains.nodak.edu)
% Credits: Ashok (adhareshwar@worldbank.org)
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कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों है ?
वो जो अपना था वोही और किसी का क्यों है ?
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है ?
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों है ?
एक ज़रा हाथ बढ़ा, दे तो पकड़ले दामन
उसके सीने में समा जाये हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर फ़ासला इतना क्यों है ?
दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लुटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है ?
तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
हैं जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है ?
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कुरबत = nearness (opposite of dooree)
मसर्रत = happiness
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