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\stitle{patthar hai khudaa, patthar ke sanam}%
\film{non-Film}%
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\singer{Jagjit Singh}%
\music{Jagjit Singh}%
\lyrics{Sudarshan Faakir}%
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% Contributor: Amarjit 
% Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Date: 10/31/1996
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पत्थर है खुदा, पत्थर के सनम, पत्थर के ही इनसान पाए हैं
तुम शहर-ए-मोहब्बत कहते हो, हम जान बचाके आए हैं

बुतख़ाना समझते हो जिसको, पूछो न वहाँ क्या हालत है
हम लोग वहीं से लौटे हैं, बस शुक्र है के लौट आए हैं

हम सोच रहे हैं मुद्दत से, अब उम्र गुज़ारेंगे भी तो कहाँ
सहरा में ख़ुशी के फूल नहीं, शरओं मे ग़मी के साए हैं

होंठों पे तबस्सुम हलका सा, आँखों में नमी सी है फ़ाकिर
हम अह्ल-ए-मोहब्बत पर अक्सर ऐसे भी ज़माने आए हैं

पत्थर है खुदा ...
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