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% BA03.s isongs output
\stitle{diiwaanaa banaanaa hai to diiwaanaa banaa de}
\lyrics{Behzad Lucknawi}
\singers{Begum Akhtar}



दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे
वर्ना कहीं तक़दीर तमाशा ना बना दे

अए देखनेवालो मुझे हँस हँस के न देखो
तुम को भी मोहब्बत कहीं मुझसा ना बना दे

मैं ढूँढ रहा हूँ मेरी वो शम्म कहाँ है
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे

आख़िर कोई सूरत भी तो हो ख़ाना-ए-दिल की
काबा नहीं बनता है तो बुत्ख़ाना बना दे

"बेह्ज़द" हर एक जाम पे एक सज्दा-ए-मस्ती
हर ज़र्रे को संग-ए-दर-ए-जनाँ ना बना दे