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% BA05.s isongs output
\stitle{aah ko chaahiiye ek umr asar hone tak}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Begum Akhtar}



आह को चाहीये एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक

आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक

हम ने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएंगे हम तुम को ख़बर होने तक

%[taGaaful = neglect]

ग़म-ए-हस्ती का 'आसद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक

%[juz = other than; marg = death; sahar = dawn]