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\stitle{mere chehare se Gam aashakaaraa nahii.n}
\lyrics{Fana Nizami Kanpuri}
\singers{Begum Akhtar}
मेरे चेहरे से ग़म आशकारा नहीं
ये न समझो के मैं ग़म का मारा नहीं
डूबने को तो डूबे मगर नाज़ है
अह्ल-ए-साहिल को हम ने पुकारा नहीं
यूँ दिखाता है आँखें हमें बाग़्बां
जैसे गुलशन पे कुछ हक़ हमारा नहीं
ज़िक्र-ए-साक़ी ही काफ़ी नहीं अए 'फ़ना'
बेपिये मैकदे में गुज़ारा नहीं