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% BA19.s isongs output
\stitle{koii ummiid bar nahii.n aatii}
\lyrics{Mirza Ghalib}
\singers{Begum Akhtar}
कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती
%[muayyan = decided/fixed]
आगे आती थि हाल-ए-दिल पे हँसी
आब किसी बात पर नहीं आती
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती
काबे किस मूँह से जाओगे 'ग़्हलिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती