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% BA20.s isongs output
\stitle{laaii hayaat aae, qazaa le chalii chale}
\lyrics{Zauq}
\singers{Begum Akhtar}



लाई हयात आए, क़ज़ा ले चली चले
न अपनी ख़ुशी आए न अपनी ख़ुशी चले

%[qazaa = death]

बहतर तो है यही के न दुनियाअ से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बेदिल्लगी चले

हो उम्र-ए-ख़िज़्र भी तो कहेंगे बावक़्त-ए-मर्ग
हम क्या रहे यहाँ अभी आए अभी चले

%[Kizr = one with long life/immortal; baa_waqt-e-marg = at the time of death ]

जाते हवा-ए-शौक़ में हैं इस चमन से ज़ौक़
अपनी बला से बाद-ए-सबा कभी चले

%[baad = wind]

दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले

%[fanaa = destruction/end]

नाज़ाँ न हो ख़िर्द पे जो होना है वो ही हो
दानिश तेरी न कुछ मेरी दानिश्वरी चले

%[naazaa.N hona = to be proud; Kird = wisdom; daanish = intellect]

कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बद्क़िमार
जो चाल हम चले वो निहायत बुरी चले

%[bad_qimaar = jinxed/one with bad luck]