% BA23.s isongs output
\stitle{shaam-e-firaaq ab na puuchh aaii aur aa ke Tal gaii}
\lyrics{Faiz aahmed Faiz}
\singers{Begum Akhtar}
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गैइ
दिल था के फिर बहल गया जाँ थी के फिर सम्भल गैइ
बज़्म-ए-ख़याल में तेरे हुस्न की शमा जल गैइ
दर्द का चाँद बुझ गया हिज्र की रात ढल गैइ
जब तुझे याद कर लिया, सुब्ह महक महक उठी
जब तेरा ग़म जगा लिया, रात मचल मचल गैइ
दिल से तो हर मुआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उनके सामने बात बदल बदल गैइ
आख़िर-ए-शब के हम-सफ़र 'फ़ैज़' न जाने क्या हुए
रह गैइ किस जगह सबा, सुब्ह किधर निकल गैइ