% BA29.s isongs output
\stitle{duur hai manzil raahe.n mushkil aalam hai tanhaaii kaa}
\lyrics{Shakeel Badayuni}
\singers{Begum Akhtar}
दूर है मन्ज़िल राहें मुश्किल आलम है तन्हाई का
आज मुझे एहसास हुआ है अपनी शिकस्ता-पाई का
%[shikastaa_paaii = weakness of the legs]
देख के मुझ को दुनियाअवाले कहने लगे हैं दीवाना
आज वहाँ है इश्क़ जहाँ कुछ ख़ौफ़ नहीं रुस्वाई का
छोड़ दें रस्म-ए-ख़ुद्निगारी को तोड़ दें अपना ईमां
ख़त्म किये देता है ज़ालिम रूप तेरी अंगड़ाई का
मैं ने ज़ियायें हुस्न को बख़्शीं उस का तो कोई ज़िक्र नहीं
लेकिन घर घर में चर्चा है आज तेरी रानाई का
%[ziyaaye.n = splendour; raanaaii = radiance]
अह्ल-ए-हवस अब पछताता है डूब के बहर-ए-ग़म में 'षकेएल'
पहले न था इन बेचारों को अन्दाज़ा गहराई का
%[bahar = sea]