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\stitle{abhii josh-e-bahaaraa.N dekhanaa hai}
\lyrics{Saeed Shahidi}
\singers{Begum Akhtar}
अभी जोश-ए-बहाराँ देखना है
गरेबाँ को गरेबाँ देखना है
अँधेरे को कलेजे से लगा ले
अगर जश्न-ए-चरागाँ देखना है
न देखा जाएगा जलता नशेमन
मगर ता हद्द-ए-इम्का देखना है
अता कर उसको या रब दौलत-ए-ग़म
अगर इन्साँ को इन्साँ देखना है
"Sअएएद" फ़स्ल-ए-गुल जो ख़िज़ाँ हो
ब हर सूरत गुलिस्ताँ देखना है