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\stitle{Khayaal-e-kaabaa-o-taibaa mai.n kis tarah bhuuluu.N}
\lyrics{Taskeen Qureshi}
\singers{Begum Akhtar}



ख़याल-ए-काबा-ओ-तैबा मैं किस तरह भूलूँ
ये ज़िंदगी का सहारा मैं किस तरह भूलूँ

गुनाहगारों से अहकारों कम नसीब सही
ग़ुलाम हूँ दर-ए-आका मैं किस तरह बूलूँ

बहार-ए-सुबह-ए-हरम क्यों न मुझे याद आयें
सवाद-ए-शाम-ए-मदीना मैं किस तरह भूलूँ

मज़े उठाये हैं इज़हार-ए-दर्द-ए-दिल के जहाँ
वो अश्क-ओ-आह की दुनिया मैं किस तरह भूलूँ

हज़ार बेखुदि-ए-शौक़ हों मगर 'टस्केएन"
ख़ुद अपने दिल का फ़साना मैं किस तरह भूलूँ