ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% BA45.s isongs output
\stitle{koii ye kah de gulashan gulashan}
\lyrics{Jigar Moradabadi}
\singers{Begum Akhtar}



कोई ये कह दे गुलशन गुलशन
लाख बलायें एक नशेमन

फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
लेकिन अपना अपना दामन

आज न जाने राज़ ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी रौशन

रहमत होगी ग़लिब-ए-इसियाँ
रश्क करेगी ?????? दामन

काँतों का भी कुछ हक़ है
कौन चुराए अपना दामन