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\stitle{koii ye kah de gulashan gulashan}
\lyrics{Jigar Moradabadi}
\singers{Begum Akhtar}
कोई ये कह दे गुलशन गुलशन
लाख बलायें एक नशेमन
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
लेकिन अपना अपना दामन
आज न जाने राज़ ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी रौशन
रहमत होगी ग़लिब-ए-इसियाँ
रश्क करेगी ?????? दामन
काँतों का भी कुछ हक़ है
कौन चुराए अपना दामन