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\stitle{saaqiiyaa  chho.D na khaalii mere paimaane ko}
\lyrics{Qadeer}
\singers{Begum Akhtar}



साक़ीया छोड़ न खाली मेरे पैमाने को
इतनी ही दे दे के हो जाअए क़सम खाने को

साक़ी ये अहद-ए-शिकन इस में बिगड़ना कैसा
कोई पैमान को तोड़े कोई पैमाने को

कुछ तो हो जाती है कम सिफ़त-ए-तौबाशिकनी
पी के हम तोड़ दिया करते हैं पैमाने को

जितने मूँह उतनी ही बातें हैं बड़े क्यूँ न जुनूँ
सब ने दीवाना बना रखा है दीवाने को