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% BA52.s isongs output
\stitle{Khudaa ke vaaste ab beruKhii se kaam na le}
\lyrics{Sahir Bhopali}
\singers{Begum Akhtar #52}



ख़ुदा के वास्ते अब बेरुख़ी से काम न ले
तड़प के फिर कोई दामन को तेरे थाम न ले

बस एक सज्दा-ए-शुक्राना पा-ए-नाज़ुक पर
ये मैकदा है यहाँ पर ख़ुदा का नाम न ले

ज़माने भर में हैं चर्चे मेरी तबाही के
मैं डर रहा हूँ कहीं कोई तेरा नाम न ले

मिटा दो शौक़ से मुझको मगर कहीं तुमसे
ज़माना मेरी तबाही का इन्तक़ाम न ले

जिसे तू देख ले इक बार मस्त नज़रों से
वो उम्र भर कभी हाथों में अपने जाम न ले

रखूँ उम्मीद-ए-करम उससे अब मैं क्या "Sअहिर"
कि जब नज़र से भी ज़ालिम मेरा सलाम न ले