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% GA02.s isongs output
\stitle{kahate hai.n mujhase ishq kaa afasaanaa chaahiye}
\lyrics{Qamar Jalalwi}
\singers{Ghulam Ali}



कहते हैं मुझसे इश्क़ का अफ़साना चाहिये
रुसवाई हो गैइ तुम्हें शर्माना चाहिये

ख़ुद्दर इतनी फ़ितरत-ए-रिन्दाँ ना चाहिये
साक़ी ये ख़ुद कहे तुझे पैमाना चाहिये

आशिक़ बग़ैर हुस्न-ओ-जवानी फ़िज़ूल है
जब शम्मा जल रही है तो परवाना चाहिये

आन्खों में दम रुका है किस के लिये ज़रूर
वर्ना मरीज़े हिज्र को मर जाना चहिये

वाद था उनके रात के आने का अए "Qअमर"
अब चाँद छुप गया उंहें आ जान चाहिये