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% GA03.s isongs output
\stitle{kal chaudhavii.n kii raat thii shab bhar rahaa charchaa teraa}
\lyrics{Ibn-e-Insha}
\singers{Ghulam Ali}
Qatah:
अन्दाज़ अपने देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
Gazal:
कल चौधवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चहरा तेरा
हम भी वही मौजूद थे हम से भी सब पूछा किये
हम हँस दिये हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा
इस शहर में किससे मिलें हम से तो छूटी महफ़िलें
हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा