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\stitle{gae dino.n kaa suraaG lekar kidhar se aayaa kidhar gayaa}
\lyrics{Nasir Kazmi}
\singers{Habib Wali Mohammed}



गए दिनों का सुराग़ लेकर किधर से आया किधर गया
अजीब मनूस अजनबी था मुझे तो हैरान कर गया

ख़ुशी की रुत हो कि ग़म का मौसम नज़र उसे ढूँडःअती है हर-दम
वो बू-ए-गुल था कि नग़्मा-ए-जाँ मेरे तो दिल में उतर गया

वो मैकदे को जगानेवाला वो रात की नींद उड़ानेवाला
न जाने क्या उस के जी में आया कि शाम होते ही घर गया

वो रात का बे-नवा मुसाफ़िर, वो तेरा शाइर वो तेरा "णसिर"
तेरी गली तक तो हमने देख थाफिर न जाने किधर गया