% HWM05.s isongs output
\stitle{raate.n thii chaa.Ndanii}
\lyrics{}
\singers{Habib Wali Mohammed}
रातें थी चाँदनी
जोबन पे थी बहार
बागों में फूल झूम रहे थे ख़ुशी के साथ
हँसता था पात पात
इतने में एक भँवरे की प्यासी निगाह ने
देखा जो दूर से
एक फूल झूम झूम के हँसता था बार बार
जोबन पे थी बहार
उड़ता हुआ मचलता हुआ आ गया वहाँ
फूलों के आस पास
कुछ गीत गुनगुनाके सुनाने लगा उसे
उल्फ़त के, प्यार के
देखा जो चाँद ने ये तमाशा तो तड़प गया
बादल में छुप गया
भँवरे का प्यार देख कर शर्मा गया गुलाब
सर को झुका लिया
फूलों की इस अदा पे उसे प्यार आ गया
भँवरे ने बड़ के फूल को दिल से लगा लिया
जोबन पे थी बहार
इक रोज़ क्या हुआ ख़मोश थी फ़िज़ा
थे आस्माँ पे चांद न तारे न चाँदनी
यानी कि दोपहर
भँवरे की नर्म गोद में सोया हुआ था फूल
दुनिया से बेख़बर
भँवरा चुरा के आँख निहायत सफ़ाई से
हौले से उठ गया
फूलों में जितना रस था वो चोरी से पी गया
चुपके से उड़ गया
अंगड़ाई लेके फूल उठा जब हवा चली
देखा तो उसकी मस्त जवानी थी लुट चुकी
जोबन पे थी बहार
पहले तो इस सितम से वो हैरान हो गया
सदमे से रो दिया
फिर पागलों की तरह परेशान हो गया
बेजान हो गया
यूँ फूल को जो देखा तो सिसकी हवा ने ली
हर पत्ती काँप उठी
तारे से ये न देखा गया आँख मूँद ली
शबनम भी रो पड़ी
अभी चमन में आती है फूलों पे जब बहार
नग़्मों में अपना क़िस्सा सुनाती है ये हज़ार
जोबन पे थी बहार