% aali01.s isongs output
\stitle{"Aali" jii ab aap chalo tum apane bojh uThaaye}
\singers{Jameeluddin Aali #1}
"आअलि" जी अब आप चलो तुम अपने बोझ उठाये
साथ भी दे तो आख़िर हमारे कोई कहाँ तक जाये
जिस सूरज की आस लगी है शायद वो भी आये
तुम ये कहो ख़ुद तुम ने अब तक कितने दिये जलाये
अपना काम है सिर्फ़ मोहब्बत बाक़ी उस का काम
जब चाहे वो रूठे हम से जब चाहे मन जाये
क्या क्या रोग लगे हैं दिल को क्या क्या उन के भेद
हम सब को समजहाने वाले कौन हमें समझाये
एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़बूल
क्या जाने इस सादा-रवी में कौन कहाँ मिल जाये
%[saadaa-ravii = slow pace]
दुनिया वाले सब सच्चे पर जीना है उस को भी
एक ग़रीब अकेला पापी किस किस से शर्माये
इतना भी मजबूर न करना वर्ना हम कह देंगे
ऑ "आअली" पे हँसने वाले तू "आअलि" बन जाये