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% adam05.s isongs output
\stitle{ab do aalam se sadaa-e-saaz aatii hai mujhe}
\lyrics{Abdul Hamid 'Adam'}
\singers{Abdul Hamid Adam}
% Contributed by Saleem A. Khanani
अब दो आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे
दिल की आहट से तेरी आवाज़ आती है मुझे
या समात का भरम है या किसी नग़्में की गूँज
एक पहचानी हुई आवाज़ आती है मुझे
किस ने खोला हिअ हवा में गेसूओं को नाज़ से
नर्म रो बरसात की आवाज़ आती है मुझे
उसकी नाज़ुक उंगलियों को देख कर अक्सर "आदम"
एक हल्कि सी सदा-ए-साज़ आती है मुझे