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\stitle{haath siine pe jo rakh do to qaraar aa jaae}
\lyrics{Aziz Kashmiri}
\singers{Aziz Kashmiri}



हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए
दिल के उजड़े हुए गुल्शन में बहार आ जाए

दिल तो कहता है कि आँखों में छुपा लूँ तुझको
डर यही है कि मुक़द्दर को नकार आ जाए

दिल के ज़ख़्मों पे मेरे प्यार का मरहम रख दो
बेक़रारी में मुझे कुछ तो क़रार आ जाए

ज़मीर-ए-सदफ़ में किरन का मुक़ाम
अनोखे अनोखे ठिकाने तेरे

यूँ ख़ुदा के लिये छीनो न मेरे होश-ओ-हवास
ऐसी नज़रों से न देखो कि ख़ुमार आ जाए

छोड़ के तुम भी चले जाओगी क़िस्मत की तरह
बाद अज़ाने तो अजल ही को न प्यार आ जाए