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\stitle{ko_ii chaudhvii.n raat kaa chaa.Nd ban kar tumhaare tasavvur me.n aayaa to hogaa}
\lyrics{Akhtar Azad}
\singers{Akhtar Azad}



कोई चौध्वीं रात का चाँद बन कर तुम्हारे तसव्वुर में आया तो होगा
किसी से तो की होगी तुमने मुहब्बत्किसी को गले से लगाया तो होगा

तुम्हारे ख़यालों की अंगनाइयों मेंमेरी याद के फूल महके तो होंगे
कभी अपनी आँखों के काजल से तुमनेमेरा नाम लिख कर मिटाया तो होगा

लबों से मुहब्बत का जादू जगाकर भरी बज़्म में सब से नज़रें बचा कर
निगाहों की राहों से दिल में समा कर किसी ने तुम्हें भी चुरया तो होगा

कभी आईने से निगाहें मिलाकर जो ली होगी भरपूर अंगड़ाई तूने
तो घबराके ख़ुद तेरी अंगड़ाईयों नेतेरे हुस्न को गुद-गुदाया तो होगा

निगाहों में शम्म-ए-तमन्ना जला कर तकी होंगी तुमने भी राहें किसी की
किसी ने तो वादा किया होगा तुमसे किसी ने तुम्हें भी रुलाया तो होगा