% akhtarul01.s isongs output
\stitle{bint-e-lamahaat tumhaare lahaje me.n jo garmii-o-halaavat hai}
\lyrics{Akhtar ul Iman}
\singers{Akhtar ul Iman}
तुम्हारे लहजे में जो गर्मी-ओ-हलावत है
इसे भला सा कोई नाम दो वफ़ा की जगह
गनीम-ए-नूर का हमला कहो अँधेरों पर
दयार-ए-दर्द में आमद कहो मसीहा की
रवाँ-दवाँ हुए ख़ुश्बू के क़ाफ़िले हर सू
ख़ला-ए-सुब्ह में गूँजी सहर की शहनाई
ये एक कोह्रा सा, ये धुँध सी जो छाई है
इस इल्तहाब में, सुर्मगीन उजाले में
सिवा तुम्हारे मुझे कुछ नज़र नहीं आता
हयात नाम है यादों का, तल्ख़ और शीरीं
भला किसी ने कभी रंग-ओ-बू को पकड़ा है
शफ़क़ को क़ैद में रखा, सबा को बंद किया
हर एक लमहा गुरेज़ाँ है जैसे दुश्मन है
न तुम मिलोगी न मैन, हम भी दोनों लमहे हैं
वो लमहें, जाके जो वापस कभी नहीं आते
%[halaavat = sweetness; ganiim = enemy; aamad = arrival;]
%[ravaa.N-davaa.N = scattering/spread; Kalaa-e-sub_h = morning silence]
%[iltahaab = stupor; surmagiin = surmaaii; talK = bitter; shiirii.n = sweet]
%[shafaq = twilight/night; gurezaa.N = fleeing/fleeting]