ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% amjad02.s isongs output
\stitle{chaa.Nd ke saath kaii dard puraane nikale}
\lyrics{Amjad Islam Amjad}
\singers{Amjad Islam Amjad}



चाँद के साथ कैइ दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले

फ़स्ल-ए गुल आई फिर इक बार असीरान-ए-वफ़ा
अपने ही ख़ून के दरिया में नहाने निकले

हिज्र कि चोट अजब संग-शिकन होती है
दिल की बेफ़ैज़ ज़मीनों से ख़ज़ाने निकले

उम्र गुज़री है शब-ए-तार में आँखें मलते
किस उफ़क़ से मेरा ख़ुर्शीद न जाने निकले

कू-ए-क़ातिल में चले जैसे शहीदों का जुलूस
ख़्वाब यूँ भीगती आँखों को सजाने निकले

दिल ने इक ईठ से तामीर किया ताज-महल
तू ने इक बात कही लाख फ़साने निकले

दश्त-ए तनहाई-ए-हिज्राँ में खड़ा सोचता हूँ
हाए क्या लोग मेरा साथ निभाने निकले

मैं ने "आम्जद" उसे बेवास्ता देखा ही नहीं
वो तो ख़ुश्बू में भी आहट के बहाने निकले