% amushtaq01.s isongs output
\stitle{kahii.n ummiid sii hai dil ke nihaa.NKhvaane me.n}
\lyrics{Ahmed Mushtaq}
\singers{Ahmed Mushtaq}
कहीं उम्मीद सी है दिल के निहाँख़्वाने में
अभी कुछ वक़्त लगेगा इसे समझाने में
मौसम-ए-गुल हो कि पतझड़ हो, बला से अपनी
हम कि शामिल हैं न खिलने में न मुर्झाने में
हम से मख़्फ़ी नहीं कुछ रहगुज़र-ए-शौक़ का हाल
हमने इक उम्र गुज़ारी है हवाख़्वाने में
है यूँ ही घुमते रहने का मज़ा ही कुछ और
ऐसी लज़्ज़त न पहुँचने में न रह जाने में
नये दीवानों को देखें तो ख़ुशी होती है
हम भी ऐसे ही थे जब आए थे वीराने में
मौसमों का कोई महरम हो तो उससे पूछो
कितने पतझड़ अभी बाक़ी हैं बहार आने में