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\stitle{hamasafar hotaa ko_ii to baa.NT lete duuriyaa.N}
\singers{Sardar Anjum #4}



हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ

मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुन-गुनाती ये नज़र
किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की न-मंज़ूरियाँ

हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ
ज़िंदगी का नाम है लाचारियाँ मजबूरियाँ

फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मंज़िल इस तरह
दिल के दामन से लिपटने आ गई हैं दूरियाँ