% ansari01.s isongs output
\stitle{saaf zaahir hai nigaaho.n se ki ham marate hai.n}
\singers{Akhtar Ansari}
% Contributed by Hardshad Kamat
साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं
मूँह से कहते हुये ये बात मगर डरते हैं
एक तस्विर-ए-मुहब्बत है जवानी गोया
जिस में रंगों की इवज़ ख़ुन्न-ए-जिगर भरते हैं
%[ivaz = instead of]
इशरत-ए-रफ़्ता ने जा कर न किया याद हमें
इशरत-ए-रफ़्ता को हम याद किया करते हैं
%[isharat-e-raftaa = happiness of the days gone by]
आस्माँ से कभी देखी न गई अपनी ख़ुशी
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं
शेर कहते हो बहुत ख़ूब तुम "आख्तर" लेकिन
अच्छे शायर ये सुना है कि जवाँ मरते हैं