% aqasmi08.s isongs output
\stitle{vo ko_ii aur na thaa cha.nd Khushk patte the}
\singers{Ahmed Nadeem Qasmi - vo ko_ii aur na thaa cha.nd Khushk patte the}
वो कोई और न था चंद ख़ुश्क पत्ते थे
शजर से टूट के जो फ़स्ल-ए-गुल पे रोये थे
%[Kushk = dry; cha.nd = few; shajar = tree; fasl-e-gul = spring]
अभी अभी तुम्हें सोचा तो कुछ न याद आया
अभी अभी तो हम एक-दूसरे से बिछड़े थे
तुम्हारे बाद चमन पर जब इक नज़र डाली
कली कली में ख़िज़ाँ के चिराग़ जलते थे
तमाम उम्र वफ़ा के गुनाहगार रहे
ये और बात कि हम आदमी तो अच्छे थे
शब-ए-ख़ामोश को तंहाई ने ज़बाँ दे दी
पहाड़ गूँजते थे दश्त सन-सनाते थे
%[shab-e-Kaamosh = silent night; dahst = desert]
वो एक बार मरे जिनको था हयात से प्यार
जो ज़िंदगी से गुरेज़ाँ थे रोज़ मरते थे
%[hayaat = life; gurezaa.N = to run away from]
नये ख़याल अब आते हैं ढल के ज़ेहन में
हमारे दिल में कभी खेत लह-लहाते थे
%[zehan = mind]
ये इरतिक़ा का चलन है कि हर ज़माने में
पुराने लोग नये आदमी से डरते थे
%[iratiqaa = progressive]
"णदेएम" जो भी मुलाक़ात थी अधूरी थी
कि एक चेहरे के पीछे हज़ार चेहरे थे