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\stitle{ret se but na banaa ai mere achchhe fanakaar}
\singers{Ahmed Nadeem Qasmi #10}



रेत से बुत न बना ऐ मेरे अच्छे फ़नकार
एक लमहे को ठहर मैं तुझे पत्थर ला दूँ
मैं तेरे सामने अम्बार लगा दूँ लेकिन
कौन से रंग का पत्थर तेरे काम आयेगा
सुर्ख़ पत्थर जिसे दिल कहतीहै बेदिल दुनिया
या वो पत्थराई हुई आँख का नीला पत्थर
जिस में सदियों के तहय्युर के पड़े हों डोरे
क्या तुझे रूह के पत्थर की ज़रूरत होगी
जिस पे हक़ बात भी पत्थर की तरह गिरती है
इक वो पत्थर है जिसे कहते हैं तहज़ीब-ए-सफ़ेद
उस के मर-मर में सियह ख़ून जह्लक जाता है
इक इंसाफ़ का पत्थर भी तो होता है मगर
हाथ में तेशा-ए-ज़र हो, तो वो हाथ आता है
जितने मयार हैं इस दौर के सब पत्थर हैं
शेर भी रक़्स भी तस्वीर-ओ-गिना भी पत्थर
मेरे इलहाम तेरा ज़हन-ए-रसा भी पत्थर
इस ज़माने में हर फ़न का निशाँ पत्थर है
हाथ पत्थर हैं तेरे मेरी ज़ुबाँ पत्थर है
रेत से बुत न बना ऐ मेरे अच्छे फ़नकार