% arahi01.s isongs output
\stitle{dil ke sun-saan jaziiro.n kii Khabar laayegaa}
\singers{Ahmed Rahi #1}
दिल के सुन-सान जज़ीरों की ख़बर लायेगा
दर्द पहलू से जुदा हो के कहाँ जायेगा
कौन होता है किसी का शब-ए-तन्हई में
ग़म-ए-फ़ुर्क़त ही ग़म-ए-इश्क़ को बहलायेगा
%[shab-e-tanhaa_ii = lonely night; Gam-e-furqat = sorrow of separation]
चाँद के पहलू में दम साध के रोती है किरन
आज तारों का फ़ुसूँ ख़ाक नज़र आयेगा
%[fusuu.N = magic]
राख में आग दबी है ग़म-ए-महरूमी की
राख हो कर भी ये शोला हमें सुलगायेगा
%[maharuum = deprived]
वक़्त ख़ामोश है रूठे हुये यारों की तरह
कौन लौ देते हुये ज़ख़्मों को सहलायेगा
धूप को देख के उस जिस्म पे पड़ती है झमक
छओं देखेंगे तो उस ज़ुल्फ़ का ध्यान आयेगा
ज़िंदगी चल कि ज़रा मौत का दम-ख़म देखें
वर्ना ये जज़्बा लहद तक हमें ले जायेगा
%[jazbaa = emotion; lahad = grave]