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\stitle{jab merii haqiiqat jaa jaa kar unko sunaaii logo.n ne}
\lyrics{Ibrahim Ashk}
\singers{Ibrahim Ashk}



जब मेरी हक़ीक़त जा जा कर उन्को सुनाई लोगों ने
कुछ सच भी कहा कुछ झूठ कहा कुछ बात बनाई लोगों ने

ढाएँ हैं हमेशा ज़ुल्म-ओ-सितम दुनिया ने मोहबात वालों पर
दो दिल को कभी मिलने न दिया दीवार उठाई लोगों ने

आँखों से न आँसू पोंच सके होंठो पे ख़ुशी देखी न गैइ
आबाद जो देखा घर मेरा तो आग लगाई लोगों ने

तन्हाई का साथी मिल न सका रुस्वाई में शामिल शहर हुआ
पहले तो मेरा दिल तोड़ दिया फिर ईद मनाई लोगों ने

इस दौर में जीना मुश्किल है अए `अश्क' कोई आसाँ नहीं
हर इक कदम पर मरने की अब रस्म चलाई लोगों ने