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\stitle{naaz thaa Khud par magar aisaa na thaa}
\singers{Ibrahim Ashk}



नाज़ था ख़ुद पर मगर ऐसा न था
आईने में जब तलक देखा न था

शहर की महरूमियाँ मत पूछिये
भीड़ थी पर कोई भी अपना न था

मंज़िलें आवाज़ देती रह गयीं
हम पहुँच जाते मगर रास्ता न था

इतनी दिलकश थी कहाँ ये ज़िंदगी
हम ने जब तक आप को चाहा न था