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\stitle{yahaa.N se ab kahii.n le chal Khayaal-e-yaar mujhe}
\singers{Aziz Warsi#1}



यहाँ से अब कहीं ले चल ख़याल-ए-यार मुझे
चमन में रास न आयेगी ये बहार मुझे

तेरी लतीफ़ निगाहों की ख़ास जुम्बिश ने
बना दिया तेरी फ़ितरत का राज़दार मुझे

मेरी हयात का अंजाम और कुछ होता
जो आप कहते कभी अपना जाँ-निसार मुझे

बदल दिया है निगाहों ने रुख़ ज़माने का
कभी रहा है ज़माने पे इख़्तियार मुझे

ये हादसात जो हैं इज़्तराब का पैग़ाम
ये हादसात ही आयेंगे साज़गार मुझे

"आज़िज़" अहल-ए-चमन की शिकायत बेसुद
फ़रेब दे गई रंगीनी-ए-बहार मुझे