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\stitle{aap ko dekh kar dekhataa rah gayaa}
\singers{Aziz Qaisi #1}
आप को देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
उनकी आँखों में कैसे छलकने लगा
मेरे होंठो पे जो माजरा रह गया
ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर
आख़री हम-सफ़र रास्ता रह गया
सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया