% azm01.s isongs output
\stitle{vusa't-e-chashm ko a.ndoh-e-basaarat likhaa}
\singers{Azm Behzad #1}
वुस'त-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिखा
मैं ने इक वस्ल को इक हिज्र की हालत लिखा
मैं ने लिक्खा के सफ़ा-ए-दिल कभी ख़ाली न हो
और कभि ख़ाली हो भी तो मलामत लिखा
मैं ने परवाज़ लिखी हद्द-ए-फ़लक़ से आगे
और बे-बाल-ओ-परी को भी निहायत लिखा
मैं ने दस्तक को लिखा कश-म-कश-ए-बे-ख़बरी
जुम्बिश-ए-पर्दा को आने की इजाज़त लिखा
मैं ने ख़ुश्बू को लिखा दस्तरस-ए-गुम-शुदगी
रंग को फ़ासला रखने की रियायत लिखा
ज़ख़्म लिखने के लिये मैं ने लिखी है ग़फ़लत
ख़ून लिखना था मगर मैं ने हरारत लिखा
हुस्न-ए-गोआई को लिखना था लिखी सरगोशी
शोर लिखना था सो आज़र-ए-सम'अत लिखा
मैं ने ताबीर को तहरीर में आने न दिया
ख़्वाब लिखते हुए मोहताज-ए-बशारत लिखा
कोई आसान रफ़ाक़त नहीं लिखी मैं ने
क़र्ब को जब भी लिखा जज़्ब-ए-रक़ाबत लिखा
इतने दाओं से गुज़र कर ये ख़याल आता है
"आज़्म" क्या तुम ने कभी हर्फ़-ए-नदामत लिखा