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\stitle{udaas aa.Nkho.n se aa.Nsuu nahii.n nikalate hai.n}
\singers{Bashir Badr}



उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

घने धुएँ में फ़रिश्ते भी आ,ण्ख मलते हैं
तमाम रात खजूरों के पेड़ जलते हैं

मैं शाह राह नहीं, रास्ते का पत्थर हूँ
यहाँ सवार भी पैदल उतर कर चलते हैं

उंहें कभी न बताना मैं उनकी आँखें हूँ
वो लोग फूल समझकर मुझे मसलते हैं

ये एक पेड़ है, आ इस से मिलकर रो लें हम
यहाँ से तेरे मेरे रास्ते बदलते हैं

कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ साथ चलते हैं