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\stitle{maan mausam kaa kahaa, chhaa_ii ghaTaa, jaam uThaa}
\singers{Bashir Badr #15}
मान मौसम का कहा, छाई घटा, जाम उठा
आग से आग बुझा, फूल खिला, जाम उठा
पी मेरे यार तुझे अपनी क़सम देता हूँ
भूल जा शिकवा-गिला, हाथ मिला, जाम उठा
हाथ में जाम जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जायेगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
एक पल भी कभी हो जाता है सदियों जैसा
देर क्या करना यहाँ, हाथ बड़ा, जाम उठा
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
मैकदे में कोई छोटा न बड़ा, जाम उठा