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\stitle{log TuuT jaate hai.n ek ghar banaane me.n}
\singers{Bashir Badr}
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
और जाम टूटेंगे इस शराब-ख़ाने में
मौसमों के आने में मौसमों के जाने में
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में
फ़ाख़्ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती
कौन साँप रखता है उसके आशियाने में
दूसरी कोई लड़की ज़िंदगी में आयेगी
कितनी देर लगती है उसको भूल जाने में