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% bashir22.s isongs output
\stitle{mere saath tum ye duaa karo yo.n kisii ke haq me.n buraa na ho}
\singers{Bashir Badr}
% Contributed by Zafar Iqbal



मेरे साथ तुम भी दुआ करो यूँ किसी के हक़ में बुरा न हो

कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो

मेरे घर से रात की सेज तक वो इक आँसू की लकीर है
ज़रा बड़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो

 णॉटे: Sओमे बोओक्स हवे थे फ़िर्स्त मिस्र ओफ़ थे अबोवे शेर अस:
मेरी छत से रात की सुबह तक कोई आँसूओं की लकीर है

सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं, आसमाँ है झुका हुआ

इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो

वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में
जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो

वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो

मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये
इंहीं ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो

इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा
वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो