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\stitle{kahii.n chaa.Nd raaho.n me.n kho gayaa kahii.n chaa.Ndanii bhii bhaTak ga_ii}
\singers{Bashir Badr #25}



कहीं चाँद राहों में खो गया
कहीं चाँदनी भी भटक गई
मैं चराग़ वो भी बुझा हुआ
मेरी रात कैसे चमक गई

मेरी दास्ताँ का उरूज था
तेरी नर्म पलकों की छाँव में
मेरे साथ था तुझे जागना
तेरी आँख कैसे झपक गई

कभी हम मिले तो भी क्या मिले
वही दूरियाँ वही फ़ासले
न कभी हमारे क़दम बढ़े
न कभी तुम्हारी झिझक गई

तुझे भूल जाने की कोशिशें
कभी क़ामयाब न हो सकीं
तेरी याद शाख़-ए-गुलाब है
जो हवा चली तो लचक गई