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\stitle{mom kii zi.ndagii ghulaa karanaa}
\singers{Bashir Badr #39}
मोम की ज़िंदगी घुला करना
कुछ किसी से न तज़करा करना
मेरा बचपन था आईने जैसा
हर खिलौना का मूँ तका करना
चेहरा चेहरा मेरी किताबें हैं
पढ़ने वालो मुझे पढ़ा करना
ये रिवायत बहुत पुरानी है
नींद में रेत पर चला करना
रास्ते में कई खण्डर होंगे
शह-सवारो वहाँ रुका करना
जब बहुत हँस चुको तो चेहरे को
आँसुओं से भी धो लिया करना
फूल शाख़ों के हों कि आँखों के
रास्ते रास्ते चुना करना