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% bsiddiqui01.s isongs output
\stitle{aa_ii na phir nazar kahii.n jaane kidhar ga_ii}
\singers{Baqi Siddiqui #1}
आई न फिर नज़र कहीं जाने किधर गई
उन तक तो साथ गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर गई
%[gardish-e-shaam-o-sahar = passage of time]
कुछ इतना बेसबात था हर जल्वा-ए-हयात
लौट आई ज़ख़्म खा के जिधर भी नज़र गई
%[besabaat = momentary]
आ देख मुझ से रूठने वाले तेरे बग़ैर
दिन भी गुज़र गया मेरी शब भी गुज़र गई
नादिम है अपने अपने क़रीनों पे हर नज़र
दुनिया लहू उच्छाल के कितनी निखर गई