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\stitle{har baar maa.Ngatii hai nayaa chashm-e-yaar dil}
\singers{Daag Dehlvi #25}
हर बार माँगती है नया चश्म-ए-यार दिल
इक दिल के किस तरह से बनाऊँ हज़ार दिल
पूछा जो उस ने तालिब-ए-रोज़-ए-जज़ा है कौन
निकला मेरी ज़बान से बे-इख़्तियार दिल
करते हो अहद-ए-वस्ल तो इतना रहे ख़याल
पैमान से ज़्यादा है नापायदार दिल
उस ने कहा है सब्र पड़ेगा रक़ीब का
ले और बेक़रार हुआ ऐ बेक़रार दिल