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\stitle{dastuur ibaadat kaa duniyaa se niraalaa hogaa}
\singers{Dalip Tahir #1}
दस्तूर इबादत का दुनिया से निराला होगा
इक हाथ में माला हो इक हाथ में प्याला होगा
पूजेंगे सलीक़े से अंदाज़ मगर अपना
हो याद-ए-ख़ुदा दिल में साक़ी ने सम्भाला हो
मस्ती भी तक़द्दुस भी एक साथ चले दोनों
इक सिम्त हो मैख़ाना इक सिम्त शिवाला हो
मस्जिद की तरफ़ से तू जाना न कभी साक़ी
ज़ाहिद भी कभी तेरा न ???? हो