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% danish02.s isongs output
\stitle{do javaa.N dilo.n kaa Gam, duriyaa.N samajhatii hai.n}
\lyrics{Danish Aligarhi}
\singers{Danish Aligarhi}
% Contributed by Harshad Kamat



दो जवाँ दिलों का ग़म, दुरियाँ समझती हैं
कौन याद करता है, हिचकियाँ समझती हैं

तुम तो ख़ुद ही क़ातिल हो, तुम ये बात क्या जानों
क्यों हुआ मैं दिवाना, बेड़ीयाँ समझती हैं

बाम से उतरती है जब हसीन दोशिज़ा
जिस्म की नज़ाकत को, सीड़ीयाँ समझती हैं

%[baam = ladder; doshizaa = bride]

यूँ तो सैर-ए-गुलशन को, कितने लोग आते हैं
फूल कौन तोड़ेगा डालियाँ समझती हैं

जिसने कर लिया दिल में पहली बार घर 'डनिश'
उस को मेरी आँखों की पुतलियाँ समझती हैं