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% ehsaan03.s isongs output
\stitle{nazar fareb-e-kazaa khaa ga_ii to kyaa hogaa}
\singers{Ehsaan Danish}



नज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा
हयात मौत से टकरा गई तो क्या होगा

%[fareb-e-kazaa = illusion of death]

नई सहर के बहुत लोग मुंतज़िर हैं मगर
न-ई सहर भी कजला गई तो क्या होगा

न रहनुमाओं की मजलिस में ले चलो मुझको
मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा

ग़म-ए-हयात से बेशक़ है ख़ुदकुशी आसाँ
मगर जो मौत भी शर्मा गई तो क्या होगा

शबाब-ए-लाला-ओ-गुल को पुकारनेवालों
ख़िज़ाँ-सिरिश्त बहार आ ग+ई तो क्य होगा

%[shabaab-e-laalaa-o-gul = beauty of flowers]
%[Kizaa.N-e-sirisht = in the form of fall/winter]

ये फ़िक्र कर कि इस आसूदगी के धोके में
तेरी ख़ुदी को भी मौत आ गई तो क्या होगा

%[aasuudagii = contentment

ख़ुशी चिनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर
जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा

%[aitamaad = trust]