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\stitle{ishq me.n Gairat-e-jazabaat ne rone na diyaa}
\lyrics{Sudarshan Faakir}
\singers{Sudarshan Faakir}



इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़बात ने रोने न दिया
वर्न क्या बात थी किस बात ने रोने न दीया

आप कहते थे के रोने से न बदलेंगे नसीब
उम्र भर आप की इस बात ने रोने न दीया

रोनेवालों से कह दो उनका भी रोना रोलें
जिनको मजबूरि-ए-हालात ने रोने न दीया

तुझसे मिलकर हमें रोना था बहोत रोना था
तंगी-ए-वक़्त-ए-मुलाक़ात ने रोने न दीया

एक दो रोज़ का सदमा हो तो रो लें 'फ़ाकिर'
हम को हर रोज़ के सदमात ने रोने न दीया