ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% faakir03.s isongs output
\stitle{kisii ra.njish ko hawaa do ki mai.n zi.ndaa huu.N abhii}
\lyrics{Sudarshan Faakir}
\singers{Sudarshan Faakir}



किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
मुझ को एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

मेरे रुकने से मेरी साँसे भी रुक जायेंगी
फ़ासले और बड़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

ज़हर पीने की तो आदत थी ज़मानेवालो
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है 'फ़ाकिर'
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी