ACZoom Home E-mail ITRANS ITRANS Song Book

% faakir09.s isongs output
\stitle{shaayad mai.n zi.ndagii kii sahar leke aa gayaa}
\lyrics{Sudarshan Faakir}
\singers{Sudarshan Faakir}



शायद मैं ज़िंदगी की सहर लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया

ता-उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क़ की
अंजाम ये कि गर्द-ए-सफ़र लेके आ गया

नश्तर है मेरे हाथ में, कांधों पे मैक़दा
लो मैं इलाज-ए-दर्द-ए-जिगर लेके आ गया

'फ़ाकिर' सनमकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख़्म भर गया था इधर लेके आ गया