% faiz05.s isongs output
\stitle{gulo.n me.n ra.ng bhare, baad-e-naubahaar chale}
\lyrics{Faiz Ahmed Faiz}
\singers{Faiz Ahmed Faiz}
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले
चले भी आओ कि गुल्शन का करोबार चले
क़फ़्फ़स उदास है यरो, सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बह्र-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
कभी तो सुभ तेरे कुन्ज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्कबार चले
बड़ा है दर्द का रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़म्गुसार चले
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ
हमारे अश्क तेरी आक़बत सँवार चले
हुज़ोओर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब
गिरह में लेके गरेबाँ का तार तार चले
मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले